Saturday, May 28, 2011

सेक्स से जुड़े आश्चर्यजनक तथ्य






सेक्स को हमेशा से इंसान एक खास संवेदना के रूप में देखता है। गौर करें तो किसी भी व्यक्ति के जीवन की खुशियां बहुत कुछ उसकी सेक्स लाइफ पर ही निर्भर होती हैं। मगर जीवन का इतना अहम हिस्सा होने के बावजूद इंसान की यह संवेदना हमेशा एक रहस्य का आवरण लिए रहती है।

प्राचीन कहावतों पर यकीन करें तो सेक्स को कोई अपने जीवन काल में भी पूरा नहीं समझ सकता, क्योंकि वह ब्रह्मांड की तरह विस्तृत, गहरा और असीम है। प्रत्येक व्यक्ति का यौन अनुभव दूसरे किसी से अलग हो सकता है। आइए मैं आपको सेक्स से जुड़े कुछ आश्चर्यजनक तथ्य बताता हूं, उम्मीद है कि यह आपके लिए दिलचस्प होगा।

अमेरिका मे हुए एक शोध से पता चला है कि बीते तीन दशकों में वहां के एक औसत पुरुष की शुक्राणु संख्या में करीब तीस प्रतिशत की गिरावट आई है।


यौन क्रिया के दौरान महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को कहीं ज्यादा पसीना आता है। स्त्रियां की शारीरिक संरचना में बदन से निकलने वाले पानी को नियंत्रित करने की क्षमता होती है।

आज धड़ल्ले से इस्तेमाल होने वाला कंडोम सन 1500 में ही अस्तित्व में आ गया था।

कंडोम का सबसे दिलचस्प इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान देखने में आया था। उस वक्त सिपाही अपनी राइफलों की नली को इससे ढका करते थे क्योंकि भीतर खारा पानी जाने से वह खराब हो जाती थीं।

एक मिनट के लिए लिया गया चुंबन शरीर की 26 कैलोरी जला सकता है।

किसी व्यक्ति के पूरे जीवन में चुंबन के लिए खर्च किए जाने वाले समय को जोड़ा जाए...तो यह 336 घंटे या 20.160 मिनटों के बराबर बैठता है। यानी कि पूरे जीवन में कुल 14 दिन।

महिलाओं के लिए संभोग एक कारगर दर्द निवारक है। क्योंकि संभोग के दौरान शरीर में एंडोमार्फीन का स्राव होता है, जो कि एक शकितशाली दर्द निवारक माना जाता है।

यदि पूरी दुनिया भर में हो रही सेक्सुअल गतिविधियों पर नजर डाली जाए तो यह एक दिन में करीब 100 मिलियन बैठती है।

पुरुष औसतन प्रत्येक सात सेकेंड में एक बार सेक्स के बारे में सोचते हैं।

मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि पश्चिमी समाज में पैर यौन आकर्षण का सबसे प्रमुख केंद्र हैं।

सेक्स में सक्रिय व्यक्ति की दाढ़ी उसकी निष्क्रिय अवस्था में रहने की तुलना में कही ज्यादा तेजी से बढ़ती है।

हमारे जीवन को चार भागों में विभाजित किया गया है। पहला भाग है बाल्यावस्था यानि बचपन, दूसरा भाग है किशोरावस्था, तीसरा भाग है यौवनावस्था यानि जवानी और अंतिम भाग है वृद्धावस्था यानि बुढ़ापा।



सामान्यत: यौवनावस्था में व्यक्ति धनार्जन करता है जिससे उसके परिवार के साथ-साथ उसका खुद का बुढ़ापा सुखी हो सके। कई लोगों को जवानी से ज्यादा बुढ़ापे में सुख अधिक प्राप्त होता है। वे कौन लोग होते हैं जिनकी किस्मत में वृद्धावस्था में अधिक सुख लिखा होता है? इस प्रश्न का उत्तर हाथ के अंगूठे का अध्ययन करने से मिल सकता है।



हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार अंगूठे के अध्ययन से भी हमारा भविष्य कैसा होगा मालुम किया जा सकता है। हमारे हाथों के अंगूठे तीन भागों में विभाजित रहते हैं। इन्हीं तीनों भागों का ध्यान से अध्ययन किया जाता है। जिस व्यक्ति का बुढ़ापा अधिक सुखी होता है उसके अंगूठे का पहला भाग अर्थात् नाखुन की ओर वाला हिस्सा तथा इसके नीचे वाला दूसरा भाग दोनों ही बराबर होते हैं।



जिस व्यक्ति के हाथों में अंगूठे का पहला और दूसरा भाग एक समान लंबाई वाला होता है वह व्यक्ति बुढ़ापे में ज्यादा सुख, धन और खुशी प्राप्त करता है। यदि प्रथम और द्वितीय भाग बराबर है, तो ऐसा व्यक्ति समाज में सम्माननीय स्थान प्राप्त करते हैं। ये लोग न तो सहज ही किसी धोखा देते है, ना किसी से आसानी से धोखा खाते हैं। ऐसे लोगो के जीवन में मित्रों की संख्या बहुत ज्यादा होती है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी मुस्कुराते रहते हैं।

एक स्वस्थ मनुष्य संभोग के दौरान करीब पांच मिलीलीटर वीर्य स्खलित करता है, जिसमें तीस करोड़ से पचास करोड़ तक शुक्राणु मौजूद होते हैं।

जो पुरुष या स्त्री हफ्ते में दो या तीन बार सेक्स करते है वोह उनकी तुलना में ज्यादा स्वस्थ
पाए जाते हैं जो हफ्ते में सिर्फ एक बार सेक्स करते हैं

जो सेक्स में सक्रिय रहते हैं उनका जीवनकाल औरों की अपेक्षा अधिक लंबा होता है

सेक्स में सक्रिय रहने वालों को प्रोस्टेट केंसर का खतरा नगण्य होता है

चाहे पुरुष हो या महिला अच्छी सेक्स लाइफ सौंदर्य को बरकरार रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक सेक्स के समय फेरोमोंस नामक रसायन शरीर में एक प्रकार की गंध उत्पन्न करता है। यह गंध पुरुष व महिला दोनों को उत्तेजित करता है और दोनों को एक दूसरे के करीब लाने में मदद करता है। खास बात यह है कि सेक्स परफ्यूम का काम करने वाली यह गंध दिल व दिमाग को असाधारण सुख व शांति देता है। इससे व्यक्ति हृदय रोग, मानसिक तनाव, रक्तचाप और दिल के दौरे दूर रखता है।

सेक्स से शारीरिक ऊर्जा खर्च होती है, जिससे कि चर्बी घटती है। मोटापा कम होता है।

सेक्स से व्यक्ति का कार्डियोवस्कुलर सिस्टम मजबूत होता है जो हृदय को मजबूत बनाता है।

सेक्स आपके शरीर में इंसुलीन की मात्रा को कम नहीं होने देता। सेक्स से कैलोरी बर्न होती हैं, जो डाइबिटीज यानी मधुमेह से नहीं होने देतीं

चिकित्सकों के मुताबिक सेक्स के दौरान शरीर में अनेक प्रकार के हार्मोन उत्पन्न होते हैं। यही हार्मोन आपके शरीर को स्वस्थ्य रखने में मदद करते हैं। पहला हार्मोन है 'एस्ट्रोजन हार्मोन' जो ऑस्टियोपोरोसिस नाम की बीमारी से रोकता है। दूसरा 'एस्ट्रोजन हार्मोन', जो एक अनोखे सुख की अनुभूति कराता है। तीसरा सबसे महत्वपूर्ण 'एंडार्फिन हार्मोन' होता है, जिसकी मात्रा सेक्स के दौरान बढ़ जाती है। ऐसा होने पर पर त्वचा में निखार आता है। त्वचा सुंदर, चिकनी व चमकदार बनती है। खास तौर पर स्त्रियां सेक्स के बाद काफी तरोताजा महसूस करती हैं। उनके चेहरे पर चमक आ जाती है, जो लंबे समय तक बरकरार रहती है।

Museum of Sex के मुताबिक आजकल महिलाएं जो vibrator(कम्पन द्वारा महिलायों को यौनानंद देने वाला sex toy) इस्तेमाल करती हैं, वो अपने शुरुआती समय 19वीं शताब्दी में महिलाओं के रोग "hysteria" का उपचार करने के काम आता था.

स्तनपायी जीवों में नर चमकादढ़ सबसे ज्यादा समलेंगिक होते हैं.

रिसर्च से पता चला है कि कॉलिज जाने वाली लड़की हाई स्कूल के बाद पढ़ाई छोड़ देने वाली लड़की कि अपेक्षा ज्यादा मुखमैथुन पसंद करती है.

पहले माना जाता था कि हस्तमैथुन से अंधापन, पागलपन और आकस्मिक मृत्यु आदि हो सकती है, बल्कि नए रिसर्च के अनुसार ऐसा कुछ नहीं है.

"Ithyphallophobia" एक ऐसी बीमारी है जिसमे उत्तेजित लिंग को देखने या उसके बारे में सोचने से डर लगता है

20वीं सदी की most celebrated sex icon मर्लिन मुनरो ने अपने एक नजदीकी मित्र को बताया था की 3 पति और आशिकों की लम्बी फेहरिस्त होने के वावजूद भी उन्हें कभी सेक्स में चरम-आनंद की प्राप्ति नहीं हुई.

सूअर का चरम-आनंद 30 मिनट लम्बा होता है.

1910 में दुनिया के सबसे कम उम्र के माता-पिता बनने वाले जोड़े की उम्र सिर्फ 8(लड़की) और 9(लड़का) साल थी. ऐसा चीन में हुआ था.

सांप के पास दो यौनांग होते हैं.

फ्रेंच किस करने से से दांतों की सडन से बचा जा सकता है.

दुनिया भर में पुरुषों के लिंग की औसत लम्बाई 5 इंच (उत्तेजित अवस्था में) है.

इन्टरनेट पर हर 6 वेबपजेस में से 5 पोर्न पेज (व्यस्क सामिग्री से भरे) होते हैं.

महिलाओं की योनि उनके मुंह की तुलना में कहीं ज्यादा साफ़ और बेक्टीरिया रहित होती है, क्यूंकि आँखों अलावा सिर्फ योनि में ही स्वतः साफ़ होने की प्रक्रिया होती है

दुनिया की सभी पोर्न साइटों पे लड़कियों के नाम से ९७.५% लडके ही बात करते है या यूँ कहे की लड़कियों के नाम से लडके होते है और ऐसा उनकी कामुक मानसिकता या पारिवारिक कारणों के कारण होता है

लिंग को उत्तेजित होने के लिए औसतन 2 चम्मच खून की ज़रुरत पड़ती है.

एक बार फिनलैंड में डोनाल्ड डक कोमिक्स को सिर्फ इसलिए बैन कर दिया गया था क्यूंकि डोनाल्ड डक पैंट्स नहीं पहनता.

इंग्लैंड के लिवरपूल नामक स्थान पर topless saleswomen को कानूनी मान्यता मिली हुई है, पर सिर्फ उष्णकटिबन्धी मछलियों की दुकानों में.

Romance novels पढने वाली महिलाएं, romance novels न पढने वाली महिलायों की अपेक्षा दुगना सेक्स करतीं हैं.

अध्ययन से सिद्ध हो चुका है कि 85 प्रतिशत जो पुरुष सेक्स करते वक़्त हार्ट अटैक की वजह से मारे गए उनका अपनी बीवी के अलावा भी और महिलाओं से सम्बन्ध था.

सन 1920 की तरफ यह माना जाने लगा था कि "jazz music" सुनने वाला व्यक्ति अपने ऊपर से काम नियंत्रण बिलकुल खो देता है. इसीलिए इसे कई शहरों में बैन भी कर दिया गया था.

Viagra सन 1998 में रिलीज़ की गयी थी और पहले 3 महीने में ही इसे 411 million डॉलर का profit हुआ था.

Sex" शब्द की उत्पत्ति सन 1382 में हुई थी.

मैं भी यहाँ बताना चाहता हू कि पहला कंडोम जानवर की खाल का बनाया गया था.

सेक्स के तुरंत बाद स्त्री एवं पुरुष दोनों का मुह खुला रहता है

इंसान और डाल्फिन, विश्व की दो ऐसी प्रजातियां हैं जो अपने आनंद के लिए सेक्स का सहारा लेती हैं।

यदि हम इतिहास के झरोखे में देखें तो 60 के दशक में डॉक्*टर लोगों को मैथुन न करने की सलाह देते थे। उनका तर्क रहता था कि इससे स्*वास्*थ्*य गिर जाता है, व्*यक्ति कमजोर हो जाता है, हड्डियां कमजोर पड़ जाती हैं, उम्र कम होती है, लंबाई नहीं बढ़ती, आंखें कमजोर पड़ जाती हैं, वीर्य पतला हो जाता है (लड़कियों में अंडाणु कम हो जाते हैं), लिंग कमजोर पड़ जाता है, लिंग छोटा हो जाता है, भविष्*य में संतान पैदा करने योग्*य नहीं रह जाता, वगैरह-वगैरह..

नियमित सेक्*स के फायदे

-सेक्स महिलाओं के पेट, पैर और पूरे फिगर को फिट रखता है।
-आपकी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। जो फ्लू आदि के इंफेक्*शन से दूर रखती है।
-सेक्स आपके शरीर में इंसुलीन की मात्रा को कम नहीं होने देता। सेक्स से कैलोरी बर्न होती हैं, जो डाइबिटीज यानी मधुमेह से नहीं होने देतीं।
-नियमित सेक्*स महिलाओं को माहवारी के विकारों से दूर रखता है।
-सेक्स से शारीरिक ऊर्जा खर्च होती है, जिससे कि चर्बी घटती है। मोटापा कम होता है।
-नियमित रूप से संभोग व्*यक्ति को प्रोस्टेट कैंसर से दूर रखता है।
-सिरदर्द, माइग्रेन, दिमाग की नसों में सिकुड़न, हिस्टीरिया आदि दूर हो जाते हैं।
-सेक्स से व्*यक्ति का कार्डियोवस्कुलर सिस्टम मजबूत होता है जो हृदय को मजबूत बनाता है।

यौन आकांक्षा अधिक!
अधिकतर महिलाओं के यौन जीवन में बहार तब आती है, जब उनकी उम्र चालीस के करीब पहुँचने वाली होती है। उनमें ऐसा उम्रदराज होने की आशंका के कारण होता है।

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि युवावस्था की तुलना में तीस साल के बाद और चालीस साल की शुरुआत के समय महिलाओं में यौन आकांक्षा की संभावना बढ़ जाती है। यह परिवर्तन इस तथ्य के बावजूद पाया गया, जबकि उनकी उम्र ढलान पर होती है।

‘द डेली टेलीग्राफ’ ने खबर प्रकाशित की है कि यह प्रवृत्ति इसलिए पाई जाती है क्योंकि महिलाओं की जवानी जैसे ही ढलान की ओर होती है उन्हें ऐसा लगता है कि बच्चे जन्मने का अवसर तथा प्रजनन क्षमता समाप्त होने की ओर है।

वैज्ञानिकों ने 900 महिलाओं पर किए गए अपने सर्वे में पाया कि इसके फलस्वरूप उनकी यौन आकांक्षा बढ़ जाती है। इस सर्वे में शामिल महिलाओं को तीन वर्गों में बाँटा गया था। प्रजनन क्षमता के उत्तम समय वाली (19 से 26 वर्ष की आयु), अपेक्षाकृत कम प्रजनन क्षमता वाली (27 से 45 वर्ष) तथा रजोनिवृत्ति की आयु वाली।

सर्वे के अनुसार अधेड़ महिलाओं में यौनाकांक्षा अधिक होती है। इन महिलाओं में पाया गया कि वे अधिक उम्र और युवतियों की अपेक्षा अधिक यौन संबंध बनाने में अधिक सक्रिय होती हैं।

मुख्य वैज्ञानिक प्रोफेसर डेविड बस ने कहा कि परिणाम इस बात की ओर संकेत करते हैं कि प्रजनन क्षमता के ढलान की दहलीज पर महिलाओं में यौन आकांक्षाएँ बढ़ती हैं।

उन्होंने कहा कि इन निष्कर्षों से पता चलता है कि महिलाओं की जैविक घड़ी के तेजी से आगे बढ़ने के साथ महिलाओं के यौन व्यवहार पर प्रभाव पड़ता है और अपनी प्रजनन क्षमता समाप्त होने से पहले वे गर्भाधान का अवसर प्राप्त कर सकें। इन निष्कर्षों का प्रकाशन ‘पर्सनैलिटी एंड इंडिविजुयल डिफरेंसेज’ जर्नल में हुआ है।

दिल्ली हो या देश का कोई और शहर हर जगह लड़कियों से छेड़छाड़ और बलात्कार की घटना सामान्य सी बात है. कोई भी ऐसा कोना आप बता सकते हैं जहॉ लड़की सुरक्षित हो, मेरे ख्याल से तो नहीं. घर में उसके ही नजदीकी रिश्तेदार उसके लिए खतरा बन जाते हैं, अगर किसी से दो शब्द भी हंस के बात कर ली तो फिर मुसीबत शुरू. बाहर निकलिए तो लोग यूं घूरते हैं जैसे कोई लड़की ना होकर खाने की चीज हो.


नारी मुक्ति मोर्चा और स्त्री अधिकार की बातें करने वाले बुद्धिजीवी और संगठन नारी सम्मान की बजाय केवल नारी अधिकार की बात करते हैं और इसे ही सारी समस्यायों का एकमात्र हल बताते फिरते हैं. मेरी राय में वे पूरी तरह गलत हैं और उनमें से अधिकांश केवल निहित स्वार्थवश स्त्री की अधिकाधिक आजादी के पक्षधर हैं. कई तो इसकी आंड़ में हाई प्रोफाइल कॉलगर्ल और स्त्री देह व्यापार का धन्धा भी चलाते हैं.


दो बातें मौलिक हैं जिसे हर किसी को समझ में आनी चाहिए. स्त्री प्राकृतिक रूप से शारीरिक बल में कम है और पुरुष स्वाभाविक रूप से आक्रामक. तो फिर स्त्री की अधिकाधिक आजादी तो पुरुष के लिए और भी मजे और आसान मजे की बात हो जाएगी. ऐसे में विशुद्ध रूप से अधिकार को सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बना के पूरी नारी जाति को बरगलाना कहॉ तक उचित है?


मेरी नजर में यदि कोई वास्तविक रूप से स्त्रियों का भला चाहता है तो उसे केवल स्त्री सम्मान का मामला उठाना चाहिए. स्त्री सम्मान का अर्थ ये है कि स्त्री को कमजोर समझ उसे अधिकारों से नवाजने की कवायद करने की बजाय उसके प्रति श्रद्धा और स्नेह की नजर विकसित करें. अधिकार केवल झगड़े का कारण और कलह का उत्प्रेरक सिद्ध होता है. छीना-झपटी और चालबाजी के लिए आप ज्यादातर अधिकार की लड़ाई को जिम्मेदार मान सकते हैं. लेकिन यदि स्त्री अधिकार की बजाय आप स्त्री सम्मान की बात करें तो अधिकांश समस्याएं खुद ही सुलझ जाएंगी.


स्त्री-पुरुष की समानता के पक्षधरों की बात भी काफी हास्यास्पद लगती है. जब ईश्वर ने स्त्री-पुरुष का विभेद पहले ही पैदा कर रखा है तो आप कौन होते हैं उसे समान करने वाले. और समानता की सारी बातें एक झूठ और प्रपंच के सिवा और कुछ नहीं लगतीं. नैसर्गिक भेद को आप अप्राकृतिक तरीके से कैसे बदल पाएंगे?


इसलिए नजरिया बदलने की जरूरत है ना कि अधिकारों की बात करने की. समाज और परिवार के सामंजस्य को बिगाड़ने की रवायतें खतरनाक हैं. आप केवल सम्मान की बात कीजिए बाकी स्वयं समाज खुद करने में सक्षम है.

अमेरिका में तेजी से तरक्की कर रहे चिकित्सा विज्ञान के साथ ही मानो यहां के चिकित्सकों की सोच भी बदल रही है। एक सर्वेक्षण की माने तो अमेरिकी चिकित्सक मरीजों के साथ शारीरिक सम्बंध को गलत नहीं मानते।

चिकित्सा के क्षेत्र में परामर्श देने वाली संस्था 'वेबएमडी' ने यह सर्वेक्षण कराया है। इस सर्वेक्षण में लगभग 10,000 अमेरिकी चिकित्सकों से कई मसलों पर सीधे सवाल पूछे गए थे।

सर्वेक्षण में शामिल चिकित्सकों में 11.7 फीसदी ने माना कि उनके अपने मरीजों के साथ नजदीकी रिश्ते रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने उपचार के दौरान मरीजों के साथ सम्बंध नहीं बनाए बल्कि इलाज के कम से कम छह महीने बाद वे मरीजों के साथ जिस्मानी तालुक्कात में शामिल हुए।

स्थानीय समाचार पत्र 'न्यूयार्क पोस्ट' ने इस सर्वेक्षण के नतीजे को प्रकाशित किया है। एक चिकित्सक ने कहा, "जब हम मरीज को देखते हैं तो हमें दिमाग में रोमानी खयाल नहीं रखने चाहिए। परंतु अगर बाहर मरीज के साथ मिलते हैं और नजदकी बढ़ाते हैं तो मुझे इसमें कोई समस्या नजर नहीं आती।"

यह बात जरूर हैं कि 83.1 फीसदी चिकित्सकों ने माना कि औषधि और प्यार को एकसाथ शामिल नहीं करना चाहिए। 23.2 फीसदी चिकित्सकों ने कहा कि वे मरीजों का साथ हमेशा देते हैं।

* किस यानी चुंबन। इसकी बात चले तो हर कोई यही कहेगा कि मैं इसमें मास्*टर हूं। हर व्*यक्ति यही कहेगा कि इसमें क्*या है, किस करना तो सबसे आसान काम है। क्*या आप भी यही सोचते हैं, कि आप 'किसिंग मास्*टर' हैं। यदि हां तो बात कहने से पहले जरा सोच लीजिए, क्*योंकि हो सकता है आप इस मामले में बहुत पीछे हों। खैर हम आज बात करेंगे कि बेहतरीन किस किसे कहते हैं।
* सबसे पहले आपको यह मानना होगा कि चुंबन हमारे जीवन का बहुत अहम हिस्*सा है। इसके माध्*यम सेसे भी करीब ला सकते हैं। आपका किस आपके बिगड़ते संबंधों को मजबूत कर सकता है। आपका किस आपकी पूरी राह तो सुहावनी बना सकता है। यही नहीं चुंबन आपको संभोग से भी ज्*यादा बेहतरीन अनुभव प्रदान कर सकता है।
* सेक्स से जुड़े आश्चर्यजनक तथ्य
* कई बार लोगों को लगता है अब चुंबन में क्*या रखा है? इसी लिए वो इसकी गहराई समझ नहीं पाते। चुंबन के समय सबसे अहम होता है कि आप अपने पार्टनर को किस तरह पकड़े हुए हैं। या फिर चुंबन के समय आपकी प्रतिक्रिया क्*या होती है। लिप किस यानी होठ से होंठ मिलाकर चुंबन का असीम अनुभव प्राप्*त करने के लिए आप अपने पार्टनर को अपनी बाहों में भर लें। उसे जरा भी ढीला न छोड़ें। साथ ही किस के दौरान सबसे पहले पार्टनर के बालों में अपने हाथ ले जाएं, वहां से पीठ पर और फिर कमर तक सहलाते हुए ले जाएं।
* इससे आपकी पार्टनर आपके काफी करीब महसूस करेगी। यही बात महिलाओं पर भी लागू होती है। बेहतर होगा कि लिप किस के दौरान चेहरे के किसी अन्*य भाग पर किस मत करें। उससे सेक्*स अनुभव कम होता है। लिप किस भी पंद्रह मिनट से ज्*यादा नहीं होन चाहिए, वरना उबाऊ हो सकता है।
* होठों के बाद दूसरा टार्गेट गर्दन के पीछे का हिस्*सा होना चाहिए। उससे महिलाओं को बेहतरीन अनुभूति होती है। धीरे-धीरे गर्दन के चारों ओर और फिर कंधे पर। अच्*छा होगा यदि आप सबसे अंत में गाल पर किस करें। किस के दौरान अगर अपने पार्टनर की छाती पर और फिर कमर के हिस्*से पर मसाज करते हैं, तो संभोग के लिए उत्*तेजना बढ़ती है।
* संभोग के दौरान चुंबन उन महिलाओं के लिए सहायक साबित होता है, जिन्*हें चरम सीमा तक पहुंचने में काफी देर लगती है। पुरुषों को हमेशा यह बात ध्*यान में रखनी चाहिए कि चुंबन संभोग की एक अहम क्रिया है, लिहाजा उन्*हें अपने मुंह को साफ रखना चाहिए। यदि आपके मुंह से दुर्गंध आती है, तो माउथ फ्रेशनर का प्रयोग करें, क्*योंकि इससे न केवल आपकी पार्टनर का मजा ठंडा हो जाएगा, बल्कि आपको भी सेक्*स करने में मज़ा नहीं आएगा।

गर्भवती होने के बाद ज्*यादातर महिलाएं अपने पति से दूर रहने की कोशिश करती हैं। वो सोचती हैं कि ऐसे समय में संभोग करने से बच्*चे पर असर पड़ेगा। यही बात पति भी सोचते हैं। पति-पत्*नी एक दूसरे से तब और दूरियां बना लेते हैं, जब प्रेगनेंसी टेस्*ट पॉजिटिव होने पर डॉक्*टर संभोग करने से मना कर देते हैं।

लेकिन क्*या हर व्*यक्ति के लिए 9 महीने तक सेक्*स नहीं करना आसान बात है? क्*या गर्भावस्*था के दौरान सेक्*स करने से वाकई में बच्*चे पर असर पड़ता है? क्*या 9 महीने तक कतई संभोग नहीं करना चाहिए? इन सभी सवालों का हल आपको यहां मिलेगा।

सबसे पहले बात करते हैं डॉक्*टर की सलाह की, जो संभोग करने से मना करते हैं। असल में डॉक्*टर गर्भवती महिलाओं को संभोग के लिए सख्*ती से तभी मना करते हैं, जब बच्*चे में किसी प्रकार के कॉम्*प्*लीकेशंस हों। यदि बच्*चे की ग्रोथ अच्*छी है, तो तीन महीने पूरे होने पर सेक्*स किया जा सकता है।

यहां पर यह तो साफ हो गया कि गर्भावस्*था में संभोग कर सकते हैं, लेकिन यहां पर जरूरी है सावधानी। जी हां ऐसे समय में सेक्*स के दौरान कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी होती हैं। उसका ध्*यान पति को ज्*यादा रखना पड़ता है, क्*योंकि गर्भावस्*था के दौरान अधिकांश महिलाओं में सेक्*स करने की इच्*छा तीव्र होती है।

इन पोजीशंस में करें सेक्*स

गर्भावस्था के दौरान सेक्स करते समय पोजिशन का ध्*यान रखना जरूरी होता है। कुछ पोजीशन (अवस्*थाएं) ऐसी हैं, जिन्*हें बनाकर सेक्*स करने से बच्*चे पर प्रभाव नहीं पड़ता।

पोजीशन-1: पुरुष और महिला एक दूसरे के सामने लेट जाएं। महिला अपना बायां पैर पुरूष के शरीर पर रख दे। इस अवस्*था में संभोग करने से गर्भ को झटके नहीं लगते। हालांकि सातवें महीने से ऐसा करना थोड़ा कठिन होता है।

पोजीशन-2: महिला पुरुष के ऊपर बैठ जाए। महिला का मुख या तो पुरूष के मुख की ओर हो या पैरों की ओर। इस पोजीशन पर सेक्*स करने से गर्भवती महिला के शरीर पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ता। ऐसी अवस्*था में चुंबन लेते वक्*त सावधानी बरतनी चाहिए, क्*योंकि चुंबन लेते समय महिला का पेट दब सकता है।

पोजीशन-3: महिला पीठ के बल टखने मोड़कर लेट जाए। अपनी टांगें पुरूष के कंधे पर रख दे और सेक्*स करें। इस पोजिशन में भी पेट पर दबाव नहीं पड़ता।

पोजीशन-4: पुरुष किसी आरामदायक कुर्सी, बैड, आर्मचेयर आदि पर बैठे। उसके ऊपर महिला बैठ जाए और संभोग कर सेफ सेक्*स किया जा सकता है।

पोजीशन-5: महिला अपनी तरफ सिकुड़कर लेट जाए। पुरूष पीछे लेटकर संभोग की क्रिया करे। इससे भी प्रेगनेंसी पर असर नहीं पड़ता। खास बात यह है कि इस पोजीशन में आठवें व नवें महीने तक संभोग किया जा सकता है।

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