Thursday, September 2, 2010

दीवाना देवर

THIS IS MY FRIEND LAXMI STORY.


लेिखका : लआमी बाई

मीटर गेज की शेन थी, इसमें एयर कण्डीशन कम्पाटर्मेन्ट में िसफ़र् टू-िटयर ही लगता
था। कम्पाटर्मेन्ट में चार बथर् थी। सामनेएक लगभग 45 वषर् का व्यि􀆠 था और
उसके साथ में एक जवान युवती थी, करीब 22-23 साल की होगी, साड़ी पहनेथी।
बातचीत में पता चला िक वो दोनों ससुर और बहूथे।
िदन का सफ़र था, मैं और मेरा देवर सामनेके दो बथर् में थे। बैठेबैठेमैं थक गई थी,
सो मैं नीचेके बथर् पर लेट गई। सामनेभी वो युवती बार बार हमें देख रही थी, िफर
उस व्यि􀆠 को देख रही थी। मेरी आंखेबंद थी पर कभी कभी मैं उन्हेदेख लेती थी।
मेरा देवर आंखेबंद िकयेऊंघ रहा था।
अचानक मुझेलगा िक सामनेवो आदमी युवती के पीछेहाथ डाल कर कुछ कर रहा
है। मुझेशीय ही पता चल गया िक वो उसकी कमर में हाथ डाल कर उसेमल रहा था।
वो बार बार उसेदेख रही थी और उस पर झुकी जा रही थी, जािहर था िक युवती को
मजा आ रहा था।
मैंनेअपनी आँखें कुछ इस तरह सेबंद कर रखी थी िक सोई हुई ूतीत हो। कुछ ही देर
में उस आदमी नेउसकी चूंची दबा दी। उस युवती नेअपना हाथ उसके लण्ड पर रख
िदया और बड़ी आसि􀆠 सेउसेदेखनेलगी।
मेरेमन में भी तरंगें उठनेलगी, मेरेतन में भी एक हल्की अिग्न जल उठी। मैंने
चुपके सेदेवर को इशारा िकया। देवर नेनींद में ही सामनेदेखा और िःथित भांप ली।
थोड़ी ही देर में देवर भी गरम हो उठा। उसका लण्ड भी उठनेलगा। उसनेभी अपना
हाथ धीरेसेमेरी चूंिचयों की तरफ़ बढ़ा िदया। मेरी बाहों के ऊपर सेउसका हाथ रेंगता
हुआ मेरेःतन पर आ िटका, िजसेउस व्यि􀆠 नेआराम सेदेख िलया।
हमें भी इस हालत में देख कर वो कुछ खुल गया और उसनेउस युवती की साड़ी के
अन्दर हाथ घुसा िदया। लड़की उस आदमी पर लगभग िगरी सी जा रही थी, और उसे
बड़ी ही आसि􀆠 सेदेख रही थी मानो चुदना चाह रही हो।
मेरेदेवर नेभी मेरी चूंिचयों पर खुलेआम हाथ फ़ेरना शुरू कर िदया। वो व्यि􀆠 अब
मुःकरा उठा और उसनेभी खुलेआम उस लड़की के ब्लाऊज में हाथ डाल िदया और
उसकी चूंिचयाँदबानेऔर मसलनेलगा। यह देख कर मेरेदेवर नेमेरेब्लाऊज में
हाथ घुसा कर मेरी नंगी चूंिचयाँपकड़ ली।
अब मैं उठ कर बैठ गई और उस व्यि􀆠 के सामनेही देवर का लण्ड पैन्ट की िजप
खोल कर पकड़ िलया।
उस व्यि􀆠 नेदेखा िक सभी अपनेकाम में लग गयेहैं तो उसनेलड़की को िलटा िदया
और उसके ऊपर चढ़ गया, अपना लण्ड िनकाल कर उसकी साड़ी ऊंची करके उसकी
चूत पर लगा िदया। देवर भी मुझेिलटानेका ूयास करनेलगा। मैंनेउसेइशारेसे
मना कर िदया। उधर उस लड़की की आह िनकल पड़ी और वो चुदनेलगी थी। पर वो
मदर् जल्दी ही झड़ गया।
देवर नेउसेइशारा िकया तो उसनेउसेसहमित देदी। देवर नेउस लड़की की टांगें
ऊंची की और अपना कड़क लण्ड िनकाल कर उसकी चूत में घुसा िदया।
मैं बड़ी उत्सुकता सेदेवर को चोदतेहुए देख रही थी। िससिकयों का दौर जारी था।
कुछ ही देर में वो दोनों झड़ गये। चुदनेके बाद हम सभी आराम सेबैठ गये। वो
लड़की मेरेदेवर को बहुत ही प्यार भरी नजरों सेदेख रही थी। देवर सेरहा नहींगया
तो वो उठा और उसेचूम िलया और उसके ःतन एक बार दबा िदये।
शाम ढल आई थी, शेन ःटेशन पर आ चुकी थी। आगरा फ़ोटर् आ चुका था। मेरा देवर
बोगी के दरवाजेपर खड़ा था। गाड़ी के रुकतेही हम अपनेथोड़ेसेसामान के साथ
उतर पड़े। देवर नेसामान अपनेसाथ लेिलया और हम ःटेशन के बाहर आ गये।
एक टेम्पो लेकर पास ही एक होटल में आ गये। राःतेभर वासना का खेल देखतेहुए
और मेरेअगं ो सेछेड़छाड़ करतेहुए आगरा पहुँचेथे। इतनी छेड़छाड़ सेमैं उ􀆣ेिजत भी
हो गई थी। मुझेऐसा महसूस हो रहा था िक बस अब कोई मेरेउभारों के साथ खूब
खेलेऔर मुझेमःत कर दे।
होटल के िबःतर पर आतेही मैंनेअपनी साड़ी खोल कर एक तरफ़ फ़ें क दी और माऽ
पेटीकोट और ब्लाऊज में लेट गई।
मेरा देवर मुझेबड़ी उत्सुकतापूवर्क िनहार रहा था। मेरी छाितयाँवासना सेफूल और
िपचक रही थी। छाितयों का उभरना और िसमटना देवरजी को बड़ा ही भला लग रहा
था। वो मेरेपास ही बैठ कर मेरेसीनेको एकटक िनहारनेलगा।
मेरी आंख अचानक ही खुल गई। देवर को यूँघूरतेदेख कर मैं एक बार िफर से
वासना में भर गई। मैं झट सेउठ कर बैठ गई। पर इस बात सेअनजान िक मेरे
ब्लाऊज के दो बटन खुल चुके थेऔर मेरी गोल गोल उभार ॄा के साथ बाहर झांकने
लगेथे। देवर का हाथ मेरेउभारों की तरफ़ बढ़नेलगे। जैसेही उसके हाथ मेरे
ब्लाऊज पर गये, मैंनेउसके हाथ पकड़ िलये,"देवर जी... हाथ दरू रिखये... क्या इरादा
है?" मैंनेितरछी नजरो सेउसेिनहारतेहुए कहा।
देवर एकदम सेहड़बड़ा गया,"भाभी, मैं तो येबटन बंद कर रहा था !" पर उसका लण्ड
तो खड़ा हो चुका था, इसिलयेमैं तो यही समझी थी िक वो मेरेछाितयांमसलना
चाहता है। िफर मदर् नाम का तो वही था मेरेसामने, और उस शेन में लड़की को चोद
ही चुका था। मैंनेितरछी िनगाहों सेउसेदेखा और उठ खड़ी हुई और बोली,"तो लगा
देबटन... !"
देवर नेमेरेइशारेको समझ िलया और मेरेब्लाऊज का बटन लेकर मेरेःतन दबाते
हुए लगानेलगा।
"भाभी ब्लाऊज तो टाईट है...!"
"तो दबा कर लगा देना !" मैंनेअपनेउभारो को थोड़ा और उभार िदया। देवर सेरहा
नहींगया और उसके दोनों हाथों नेमेरेःतनों को घेर िलया और अपनेहाथों में कस
िलया।
"हाय रेदेवर जी... इन्हें तो छोड़ो ना... येब्लाऊज थोड़ेही है...!" मैंनेउसेहल्का सा
धक्का देिदया और हंसती हुई बाथ रूम में चली गई। देवर मुझेप्यासी नजरों से
देखता रह गया। मैंनेअच्छी तरह नहाया धोया और ६ेश हो कर बाहर आ गई। कुछ
ही देर में देवर भी ६ेश हो गयेथे। उसके हाथ अभी भी मेरेअंगों को मसलनेके िलये
बैचेन हो रहेथे। उसके हाथ कभी मेरेचूतड़ों पर पड़तेथेऔर कभी िकसी ना िकसी
बहानेछाती सेटकरा जातेथे।
हम दोनों तैयार हो कर नीचेखाना खानेआ गयेथे। रात के नौ बज रहेथे, हम बाहर
होटल के बाग में टहलनेलगे। मेरा मन तो देवर पर लगा था । मन ही मन देवर से
चुदनेकी योजना बना रही थी। मेरेतन बदन में जैसेआग सी लगी थी। तन की
अिग्न को िमटाना जरूरी था।
मैंनेदेवर के चूतड़ों पर हाथ मार कर देखा तो पता चला िक उसनेअंडरिवयर नहीं
पहनी थी। उसके नंगेसेचूतड़ो का मुझेअहसास हो गया था।
मैंनेभी पजामेके नीचेपेंटी और कुत􀈶 के अन्दर ॄा नहींपहनी थी। बाग में घूमते
घूमतेमैंनेकहा,"देवर जी, मैं एक चीज़ बताऊँ...!"
"हांबताओ ..." उसनेउत्सुकता सेपूछा।
"पहलेआखं ें बंद करो... िफर एक जादूबताती हूँ..." मैंनेशरारत सेकहा। मेरी वासना
उबल रही थी।
उसनेआंखें बंद कर ली। मैंनेअपना हाथ धीरेसेउसके उठतेहुए लण्ड पर रख
िदया,"देवर जी आंखें बंद ही रखना... प्लीज मत खोलना ...!" धीरेसेमैंनेउसके लण्ड
पर कसाव बढ़ा िदया
"आह... भाभी...!" उसके मुख सेआह िनकल पड़ी।
"देखो आंखें नहींखोलना... तुम्हेमेरी कसम...!" और लण्ड को हौलेसेउपर नीचे
करनेलगी।
"सी सीऽऽऽऽऽऽ... आह रे..." उसकी िससकािरयाँफ़ूट पड़ी।
"तुम्हें मेरी कसम है... आंख बंद ही रखना...!" मैंनेसावधानी सेबाग में इधर उधर
देखा, और पजामेमें हाथ घुसा कर उसका नंगा लण्ड थाम िलया। बस मसला ही था
िक कुछ आहट हुई, मैंनेतुरन्त ही हाथ बाहर खींच िलया। देवर की आखं ें खलु
गई,"भाभी, मैं कोई सपना देख रहा था क्या ?"
"चुप भी रहो... बड़ा आया सपनेदेखनेवाला... अब चलो कमरेमें..." मैंनेउसे
िझड़कतेहुए कहा ।
हम दोनों वापस कमरेमें आ गये। डबल बेड वाला कमरा था। देवर बड़ी आस लगाये
मुझेदेख रहा था। पर मैंनेअपनेिबःतर पर लोट लगा दी और आंखें बंद करके लेट
गई। देवर नेब􀆣ी बुझा दी। मैं इन्तज़ार करती रही िक इतना कुछ हो गया है, देवर जी
चोदेिबना नहींछोड़ेंगे। पर बस मैं तो इन्तज़ार ही करती रह गई। उसनेकुछ नहीं
िकया। अंधेरेमें मैंनेउसेदेखनेका ूयास िकया, पर वो तो िच􀆣 लेटा आंखें बंद िकए
हुए था।
मुझेकुलबुलाहट होनेलगी, चूत में आग लगी हुई थी और येलण्ड िलयेहुए सो रहा
था। अब मैंनेसोच िलया था िक चुदना तो हैही। मैंनेधीरेसेअपनेपूरेकपड़ेउतार
िलये। िफर देवर के पजामेका नाड़ा धीरेसेखींच कर ढीला कर िदया और पजामा
नीचेखींच िदया। उसका लण्ड सीधा तना हुआ खड़ा था। यािन उसका लण्ड मुझे
चोदनेके िलयेतैयार था।
मैं धीरेसेउठी और देवर के ऊपर चढ़ कर बैठ गई। उसके लण्ड को सीधेही अपनी
चूत सेलगा िदया और धीरेसेजोर लगा िदया। उसका लण्ड फ़क सेअन्दर घुस
गया। देवर या तो पहलेसेही जगा हुआ था या आधी नींद में था... झटके सेउसकी
आंख खुल गई। पर देर हो चुकी थी। मैंनेउसके िजःम पर कब्जा कर िलया था और
उसके ऊपर लेट कर उसेजकड़ िलया था।
मेरी चूत जोर लगा कर उसके लण्ड को लील चुकी थी।
"अरे...रे... भाभी... येक्या... हाय रे... " उसके लण्ड में मीठी मीठी गदु गदु ी हुई होगी।
उसके हाथ मेरी कमर पर कसतेचलेगये।
"देवर जी, नींद बहुत आ रही हैक्या...? िफर तेरी भाभी का क्या होगा...?"
"मैं तो समझा था िक आप मुझसेसेक्सी मजाक कर रही हैं... !"
"हाय... देवर जी... लण्ड और चूत में कैसी दोःती... लण्ड तो चूत को मारेगा ही...!"
"भाभी, आप बड़ी प्यारी है... मेरा िकतना ध्यान रखती है... आह रे... लण्ड के ऊपर
बैठ जाओ ना...!"
देवर नेब􀆣ी जला दी। मैं अपनी पोजीशन बदल कर खड़ेलण्ड पर सीधेबैठ गई।
लण्ड चूत में जड़ तक उतर गया और पैंदेसेटकरा गया। हल्का सा ददर् हुआ। उसके
हाथ आगेबढ़ेऔर मेरी चूंिचयों को अपनेकब्जेकर िलया और उन्हें मसलनेलगा।
मेरा िजःम एक बार िफर सेमीठी आग में जल उठा। मैं धीरेसेउस पर लेट गई और
हौलेहौलेचूत ऊपर नीचेकरके लण्ड को अन्दर बाहर करके ःवग􀈸य आनन्द लेने
लगी।
उसके होंठों को अपनेहोंठों में दबा िलया और िससकारी भर भर कर िहलतेहुए चुदने
लगी। देवर भी वासना भरी आहें भरनेलगा। पर देवर नेजल्दी ही मुझेकस कर
लपेट िलया और और एक कुलांची भर कर ऊपर आ गया। मुझेउसनेदबा िलया।
पर अब उसके लण्ड का िनशाना मेरी गाण्ड थी। इशारा पातेही मैंनेअपनी गाण्ड
थोड़ी सी ऊंची कर ली । बस िफर तो राही को राःता िमल गया और मेरेचूतड़ों के पट
खोलतेहुए छेद पर आ िटका, उसनेमेरी आखं ों में आखं ें डाल दी और आखं ों ही आखं ों
में मुझेचोदनेलगा। मैं उसके आंखों के वार सहती रही... मेरी आंखें चुदती रही... और
मेरेमुख सेआह िनकल पड़ी।
उसका प्यारा सा लण्ड मेरी गाण्ड में उतर गया। प्यार सेवो मुझेआंखों सेचोदता
रहा... उसकी येप्यारी ःटाईल मुझेअन्दर तक मार गई। मेरी आंखों में एकटक
देखनेसेपानी आ गया और मैंनेअपनेचक्षुधीरेसेबन्द कर िलये। मेरी गाण्ड लण्ड
को पूरा िनगल चुकी थी। गाण्ड की दीवार में तेज गुदगुदी चल रही थी। उसके धक्के
तेज हो गयेथे... लग रहा था िक उसका माल िनकलनेवाला है।
मैंनेउसेइशारा िकया और उसके पलक झपकतेही लण्ड गाण्ड में सेिनकाल कर चूत
में िफर सेपेल िदया। मेरा अन्तरंग आनन्द सेनहा गया। चूत की चुदाई ःवगर् जैसी
आनन्ददायी लग रही थी। मेरी चूत उछल उछल कर उसका साथ देनेलगी। मेरे
िजःम में तंरगें उठनेलगी... सारा शरीर सनसनाहट सेभर उठा। सारा शरीर आनन्द
सेभर उठा। आंखेबंद होनेलगी। देवर का लण्ड भी मोटा ूतीत होनेलगा। दोनों ओर
सेभरपूर कसावट के साथ चुदाई होनेलगी।
लण्ड मेरी चूत में तरावट भर रहा था। मेरी चूत अब धीरेधीरेरस छोड़नेलगी थी। ...
और अचानक उसका लण्ड अत्यन्त कठोर होकर मेरी चूत के पेंदेमें गड़नेलगा और
िफर एक गरम गरम सा अहसास होनेलगा। उसका वीयर् मेरी चूत में भरनेलगा।
तभी मेरी चूत नेभी अंगड़ाई ली और उसके वीयर् में अपना रस भी उगल िदया। दोनों
रस एक हो गयेऔर चूत में सेिरसनेलगे।
देवर नेमुझेकस कर दबोच रखा था और चूतड़ को दबा दबा कर अपना वीयर् िनकाल
रहा था। मैं भी चूत को ऊपर उठा कर अपना पानी िनकाल रही थी। देवर नेपूरा वीयर्
चूत में खाली कर िदया और उछल कर खड़ा हो गया। मैंनेभी सन्तु􀆴 मन सेकरवट
बदली और गहरी नीन्द में सो गई। सुबह देर सेउठी तब तक देवर उठ चुका था। मुझे
जगा हुआ देख कर उसनेमेरी टांगें ऊपर की और मेरी चूत को खोल कर एक गहरा
चुम्बन िलया।
"घर में भाभी का होना िकतना जरूरी हैयह मुझेआज पता चला...! हैना...?" देवर ने
प्यार सेदेखा।
"हांसच है...पर देवर ना हो तो भाभी िकससेचुदेगी िफर... बोलो...?" हम दोनों ही हंस
पड़ेऔर बाहर जानेकी तैयारी करनेलगे...।

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