Sunday, September 12, 2010

एक खड़ेलंड की करतूत

"अच्छा चलो एक बात बताओ िजस माली नेपेड़ लगाया हैक्या उसेउस पेड़ के फल
खानेका हक नहींहोना चािहए ? या िजस िकसान नेइतनेप्यार सेफसल तैयार की
हैउसेउसके के अनाज को खानेका हक नहींहोना चािहए ? अब अगर मैं अपनी बेटी
को चोदना चाहता हूंतो क्या गलत है ?"
…. इसी कहानी से
मेरा एक ई-िमऽ हैतरुण ! बस ऐसेही जान पहचान हो गई थी। वो मेरी कहािनयों का
बड़ा ूशंसक था। उसेिकसी लड़की को पटानेके टोटके पता करनेथे। एक िदन जब
मैं अपनेमेल्स चेक कर रहा था तो उस सेचाट पर बात हुई थी। िफर तो बातों ये
िसलसला चल ही पड़ा। यह कहानी उसके साथ हुई बातों पर आधािरत है। लीिजये
उसकी जबानी सुिनए :
दोःतों मेरा नाम तरुण है। 20 साल का हूँ। कॉलेज में पढता हूँ। िपछलेसाल गिमयर् ों
की छुिट्टयों में मैं अपनेनािनहाल अमतृ सर घूमनेगया हुआ था। मेरेमामा का छोटा
सा पिरवार है। मेरेमामाजी रुःतम सेठ 45 साल के हैं और मामी सिवता 42 के
अलावा उनकी एक बेटी हैकिनका 18 साल की। मःत क़यामत बन गई हैअब तो
अच्छे-अच्छो का पानी िनकल जाता हैउसेदेख कर। वो भी अब मोहल्लेके लौंडे
लपाडों को देख कर नैन मट्टका करनेलगी है।
एक बात खास तौर पर बताना चाहूँगा िक मेरेनानाजी का पिरवार लाहोर से
अमृतसर 1947 में आया था और यहाँआकर बस गया। पहलेतो स􀃞जी की छोटी सी
दकू ान ही थी पर अब तो काम कर िलए हैं। खालसा कॉलेज के सामनेएक जनरल
ःटोर हैिजसमें पि􀃞लक टेलीफ़ोन, कंप्यूटर और नेट आिद की सुिवधा भी है। साथ में
जसू बार और फलों की दकू ान भी है। अपना दो मंिजला मकान हैऔर घर में सब
आराम है। िकसी चीज की कोई कमी नहींहै। आदमी को और क्या चािहए। रोटी
कपड़ा और मकान के अलावा तो बस सेक्स की जरुरत रह जाती है।
मैं बचपन सेही बहुत शम􀈸ला रहा हूँमुझेअभी तक सेक्स का 􀃏यादा अनुभव नहीं
था। बस एक बार बचपन में मेरेचाचा नेमेरी गांड मारी थी। जब सेजवान हुआ था
अपनेलंड को हाथ में िलए ही घूम रहा था। कभी कभार नेट पर सेक्सी कहािनयांपढ़
लेता था और 􀃞लूिफल्म भी देख लेता था। सच पूछो तो मैं िकसी लड़की या औरत को
चोदनेके िलए मरा ही जा रहा था। मामाजी और मामी को कई बार रात में चुदाई
करतेदेखा था। वाहÉ 42 साल की उॆ में भी मेरी मामी सिवता एक दम जवान
पट्ठी ही लगती है। लयब􀆨 तरीके सेिहलतेमोटेमोटेिनतम्ब और गोल गोल ःतन
तो देखनेवालों पर िबजिलयाँही िगरा देतेहैं। 􀃏यादातर वो सलवार और कुरता ही
पहनती हैपर कभी कभार जब काली साड़ी और कसा हुआ 􀃞लाउज पहनती हैतो
उसकी लचकती कमर और गहरी नािभ देखकर तो कई मनचलेसीटी बजानेलगते
हैं। लेिकन दो दो चूतों के होतेहुए भी मैं अब तक प्यासा ही था।
जून का महीना था। सभी लोग छत पर सोया करतेथे। रात के कोई दो बजेहोंगे। मेरी
अचानक आँख खुली तो मैंनेदेखा मामा और मामी दोनों ही नहींहैं। किनका बगल में
लेटी हुई है। मैं नीचेपेशाब करनेचला गया। पेशाब करनेके बाद जब मैं वापस आने
लगा तो मैंनेदेखा मामा और मामी के कमरेकी लाईट जल रही है। मैं पहलेतो कुछ
समझा नहींपर हाईई ओह … या … उईई … की हलकी हलकी आवाज नेमुझे
िखड़की सेझांकनेको मजबूर कर िदया। िखड़की का पदार् थोड़ा सा हटा हुआ था।
अन्दर का दृँय देख कर तो मैं जड़ ही हो गया। मामा और मामी दोनों नंगेबेड पर
अपनी रात रंगीन कर रहेथे। मामा नीचेलेटेथेऔर मामी उनके ऊपर बैठी थी।
मामा का लंड मामी की चूत में घुसा हुआ था और वो मामा के सीनेपर हाथ रख कर
धीरेधीरेधक्के लगा रही थी और आहÉ उन्हÉ। या … की आवाजें िनकाल रही थी।
उसके मोटेमोटेिनतम्ब तो ऊपर नीचेहोतेऐसेलग रहेथेजैसेकोई फ़ुटबाल को
िकक मार रहा हो। उनकी चूत पर उगी काली काली झांटों का झुरमुट तो िकसी
मधुमक्खी के छ􀆣ेजैसा था।
वो दोनों ही चुदाई में मग्न थे। कोई 8-10 िमनट तक तो इसी तरह चुदाई चली होगी।
पता नहींकब सेलगेथे। िफर मामी की रफ्तार तेज होती चली गई और एक जोर की
सीत्कार करतेहुए वो ढीली पड़ गई और मामा पर ही पसर गई। मामा नेउसेकस
कर बाहों में जकड़ िलया और जोर सेमामी के होंठ चूम िलए।
"सिवता डािल􀉍ग ! एक बात बोलूं ?"
"क्या ? "
"तुम्हारी चूत अब बहुत ढीली हो गई हैिबलकुल मजा नहींआता ?"
"तुम गांड भी तो मार लेतेहो वो तो अभी भी टाइट हैना ?"
"ओह तुम नहींसमझी ?"
"बताओ ना ?"
"वो तुम्हारी बहन बिबता की चूत और गांड दोनों ही बड़ी मःत थी ? और तुम्हारी
भाभी जया तो तुम्हारी ही उॆ की हैपर क्या टाइट चूत हैसाली की ? मज़ा ही आ
जाता हैचोद कर"
"तो येकहो ना िक मुझ सेजी भर गया हैतुम्हारा ?"
"अरेनहींसिवता रानी ऐसी बात नहींहैदरअसल मैं सोच रहा था िक तुम्हारेछोटे
वालेभाई की बीवी बड़ी मःत है। उसेचोदनेको जी करता है ?"
"पर उसकी तो अभी नई नई शादी हुई हैवो भला कैसेतैयार होगी ? "
"तुम चाहो तो सब हो सकता है ?"
"वो कैसे ?"
"तुम अपनेबड़ेभाई सेतो पता नहींिकतनी बार चुदवा चुकी हो अब छोटेसेभी
चुदवा लो और मैं भी उस क़यामत को एक बार चोद कर िनहाल हो जाऊं !"
"बात तो तुम ठीक कह रहेहो, पर अिवनाश नहींमानेगा ?"
"क्यों ?"
"उसेमेरी इस चुदी चुदाई भोसड़ी में भला क्या मज़ा आएगा ?"
"ओह तुम भी एक नंबर की फु􀆧ूहो ! उसेकिनका का लालच देदो ना ?"
"किनका … ? अरेनहीं. वो अभी बच्ची है !"
"अरेबच्ची कहाँहै ! पूरेअट्ठारह साल की तो हो गई है ? तुम्हें अपनी याद नहींहै
क्या ? तुम तो केवल सोलह साल की ही थी जब हमारी शादी हुई थी और मैंनेतो
सुहागरात में ही तुम्हारी गांड भी मार ली थी !"
"हाँयेतो सच हैपर …."
"पर क्या ?"
"मुझेभी तो जवान लंड चािहए ना ? तुम तो बस नई नई चूतों के पीछेपड़ेरहतेहो
मेरा तो जरा भी ख़याल नहींहैतुम्हें ?"
"अरेतुमनेभी तो अपनेजीजा और भाई सेचुदवाया था ना और गांड भी तो मरवाई
थी ना ?"
"पर वो नए कहाँथेमुझेभी नया और ताजा लंड चािहए बस कह िदया ?"
"ओहÉ तुम तरुण को क्यों नहींतैयार कर लेती ? तुम उसके मज़ेलो और मैं किनका
की सील तोड़नेका मजा लेलूँगा !"
"पर वो मेरेसगेभाई की औलाद हैं क्या यह ठीक रहेगा ?"
"क्यों इसमें क्या बुराई है ?"
"पर वोÉ नहीं ..। मुझेऐसा करना अच्छा नहींलगता !"
"अच्छा चलो एक बात बताओ िजस माली नेपेड़ लगाया हैक्या उसेउस पेड़ के फल
खानेका हक नहींहोना चािहए ? या िजस िकसान नेइतनेप्यार सेफसल तैयार की
हैउसेउस फसल के अनाज को खानेका हक नहींिमलना चािहए ? अब अगर मैं
अपनी इस बेटी को चोदना चाहता हूँतो इसमें क्या गलत है ? "
"ओह तुम भी एक नंबर के ठरकी हो। अच्छा ठीक हैबाद में सोचेंगे ?"
और िफर मामी नेमामा का मुरझाया लंड अपनेमुंह में भर िलया और चूसनेलगी।
मैं उनकी बातें सुनकर इतना उ􀆣ेिजत हो गया था िक मुट्ठ मारनेके अलावा मेरेपास
अब कोई और राःता नहींबचा था। मैं अपना 7 इंच का लंड हाथ में िलए बाथ रूम की
ओर बढ़ गया। िफर मुझेख़याल आया किनका ऊपर अकेली है। किनका की ओर
ध्यान जातेही मेरा लंड तो जैसेछलांगें ही लगानेलगा। मैं दौड़ कर छत पर चला
आया।
किनका बेसुध हुई सोई थी। उसनेपीलेरंग की ःकटर् पहन रखी थी और अपनी एक
टांग मोड़ेकरवट िलए सोई थी। ःकटर् थोड़ी सी ऊपर उठी थी। उसकी पतली सी पेंटी
में फ़सी उसकी चूत का चीरा तो साफ़ नजर आ रहा था। पेंटी उसकी चूत की दरार में
घुसी हुई थी और चूत के छेद वाली जगह गीली हुई थी। उसकी गोरी गोरी मोटी जांघें
देख कर तो मेरा जी करनेलगा िक अभी उसकी कुलबुलाती चूत में अपना लंड डाल
ही दँ।ू
मैं उसके पास बैठ गया। और उसकी जाँघों पर हाथ फेरनेलगा। वाह.. क्या मःत
मुलायम संग-ए-मरमर सी नाज़ुक जांघें थी। मैंनेधीरेसेपेंटी के ऊपर सेही उसकी
चूत पर अंगुली िफराई। वो तो पहलेसेही गीली थी। आह … मेरी अंगुली भी भीग सी
गई। मैंनेउस अंगुली को पहलेअपनी नाक सेसूंघा। वाह क्या मादक महक थी।
कच्चेनािरयल जैसी जवान चूत के रस की मादक महक तो मुझेअन्दर तक मःत
कर गई। मैंनेअंगुली को अपनेमुंह में लेिलया। कुछ खट्टा और नमकीन सा
िलजिलजा सा वो रस तो बड़ा ही मजेदार था।
मैं अपनेआप को कैसेरोक पाता। मैंनेएक चुम्बन उसकी जाँघों पर लेही िलया। वो
थोडा सा कुनमुनाई पर जगी नहीं। अब मैंनेउसके उरोज देखे। वह क्या गोल गोल
अमरुद थे। मैंनेकई बार उसेनहातेहुए नंगा देखा था। पहलेतो इनका आकार नींबू
िजतना ही था पर अब तो संतरेनहींतो अमरुद तो जरूर बन गए हैं। गोरेगोरेगाल
चाँद की रोशनी में चमक रहेथे। मैंनेएक चुम्बन उन पर भी लेिलया। मेरेहोंठों का
ःपशर् पातेही किनका जग गई और अपनी आखँ ों को मलतेहुए उठ बैठी।
"क्या कर रहेहो भाई?" उसनेउिनन्दी आँखों सेमुझेघूरा।
"वो. वोÉ मैं तो प्यार कर रहा था ?"
"पर ऐसेकोई रात को प्यार करता हैक्या ? "
"प्यार तो रात को ही िकया जाता है ?" मैंनेिहम्मत करके कह ही िदया।
उसके समझ में पता नहींआया या नहीं। िफर मैंनेकहा,"किनका एक मजेदार खेल
देखोगी ?"
"क्या ?" उसनेहैरानी सेमेरी और देखा।
"आओ मेरेसाथ !" मैंनेउसका बाजूपकड़ा और सीिढ़यों सेनीचेलेआया और हम
िबना कोई आवाज िकयेउसी िखड़की के पास आ गए। अन्दर का दृँय देख कर तो
किनका की आँखें फटी की फटी ही रह गई। अगर मैंनेजल्दी सेउसका मुंह अपनी
हथेली सेनहींढक िदया होता तो उसकी चीख ही िनकल जाती। मैंनेउसेइशारेसेचुप
रहनेको कहा। वो हैरान हुई अन्दर देखनेलगी।
मामी घोड़ी बनी फशर् पर खड़ी थी और अपनेहाथ बेड पर रखेथे। उनका िसर बेड पर
था और िनतम्ब हवा में थे। मामा उसके पीछेउसकी कमर पकड़ कर धक्के लगा रहे
थे। उन 8 इंच का लंड मामी की गांड में ऐसेजा रहा था जैसेकोई िपःटन अन्दर बाहर
आ जा रहा हो। मामा उनके िनतम्बों पर थपकी लगा रहेथे। जैसेही वो थपकी लगाते
तो िनतम्ब िहलनेलगतेऔर उसके साथ ही मामी की सीत्कार िनकलती,"हाईई और
जोर सेमेरेराजा और जोर सेआज सारी कसर िनकाल लो और जोर सेमारो मेरी
गांड बहुत प्यासी हैयेहाईई …"
"लेमेरी रानी और जोर सेले … या … सऽ िवऽ ताÉ आ.. आ ……" मामा के धक्के
तेज होनेलगेऔर वो भी जोर जोर सेिचलानेलगे।
पता नहींमामा िकतनी देर सेमामी की गांड मार रहेथे। िफर मामा मामी सेजोर से
िचपक गए। मामी थोड़ी सी ऊपर उठी। उनके पपीतेजैसेःतन नीचेलटके झूल रहे
थे। उनकी आँखें बंद थी। और वह सीत्कार िकयेजा रही थी,"िजयो मेरेराजा मज़ा आ
गया !"
मैंनेधीरेधीरेकिनका के वक्ष मसलनेशुरू कर िदए। वो तो अपनेमम्मी पापा की इस
अनोखी रासलीला देख कर मःत ही हो गई थी। मैंनेएक हाथ उसकी पेंटी में भी डाल
िदया। उफ़ … छोटेछोटेझांटों सेढकी उसकी बुर तो कमाल की थी। नीम गीली। मैंने
धीरेसेएक अंगुली सेउसके नमर् नाज़ुक छेद को टटोला। वो तो चुदाई देखनेमें इतनी
मःत थी िक उसेतो तब ध्यान आया जब मैंनेगच्च सेअपनी अंगुली उसकी बुर के
छेद में पूरी घुसा दी।
"उईई माँ …." उसके मुंह सेहौलेसेिनकला। "ओह … भाई येक्या कर रहेहो ?"
उसनेमेरी ओर देखा। उसकी आँखें बोिझल सी थी और उनमें लाल डोरेतैर रहेथा।
मैंनेउसेबाहों में भर िलया और उसके होंठों को चूम िलया।
हम दोनों नेदेखा िक एक पुच्क्क की आवाज के साथ मामा का लंड िफसल कर बाहर
आ गया और मामी बेड पर लुढ़क गई। अब वहाँरुकनेका कोई मतलब नहींरह गया
था। हम एक दसू रेकी बाहों में िसमटेवापस छत पर आ गए।
"किनका ? "
"हाँÉ भाई ?"
किनका के होंठ और जबान कांप रही थी। उसकी आँखों में एक नई चमक थी। आज
सेपहलेमैंनेकभी उसकी आँखों में ऐसी चमक नहींदेखी थी। मैंनेिफर उसेअपनी
बाहों में भर िलया और उसके होंठ चूसनेलगा। उसनेभी बेतहाशा मुझेचूमना शुरू
कर िदया। मैंनेधीरेधीरेउसके ःतन भी मसलनेचालूकर िदए। जब मैंनेउसकी पेंटी
पर हाथ िफराया तो उसनेमेरा हाथ पकड़तेकहा,"नहींभाईÉ इस सेआगेनहीं !"
"क्यों क्या हुआ ? "
"मैं िरँतेमें तुम्हारी बहन लगती हूँ, भलेही ममेरी ही हूँपर आिखर हूँतो बहन ही ना
? और भाई और बहन में ऐसा नहींहोना चािहए !"
"अरेतुम िकस ज़मानेकी बात कर रही हो ? लंड और चूत का िरँता तो कुदरत ने
बनाया है। लंड और चूत का िसफर् एक ही िरँता होता हैऔर वो हैचुदाई का। येतो
केवल तथाकिथत सभ्य कहेजानेवालेसमाज और धमर् के ठेकेदारों का बनाया हुआ
ढकोसला (ूपंच) है। असल में देखा जाए तो येसारी कायनात ही इस ूेम रस में डूबी
हैिजसेलोग चुदाई कहतेहैं।" मैं एक ही सांस में कह गया।
"पर िफर भी इंसान और जानवरों में फकर् तो होता हैना ?"
"जब चूत की िकःमत में चुदना ही िलखा हैतो िफर लंड िकसका हैइससेक्या फकर्
पड़ता है ? तुम नहींजानती किनका तुम्हारा येजो बाप हैअपनी बहन, भाभी, साली
और सलहज सभी को चोद चुका हैऔर येतुम्हारी मम्मी भी कम नहींहै। अपने
देवर, जेठ, ससुर, भाई और जीजा सेना जानेिकतनी बार चुद चुकी हैऔर गांड भी
मरवा चुकी है ?"
किनका मेरी ओर मुंह बाए देखेजा रही थी। उसेयेसब सुनकर बड़ी हैरानी हो रही थी
" नहींभाई तुम झूठ बोल रहेहो ? "
"देखो मेरी बहना तुम चाहेकुछ भी समझो येजो तुम्हारा बाप हैना वो तो तुम्हें भी
भोगनेके चक्कर में है ? मैंनेअपनेकानों सेसुना है !"
"क … क्या … ?" उसेतो जसै ेमेरी बातों पर यकीन ही नहींहुआ। मैंनेउसेसारी बातें
बता दी जो। आज मामा मामी सेकह रहेथे। उसके मुंह सेतो बस इतना ही िनकला
"ओहÉ नोऽऽ ?"
"बोलो … तुम क्या चाहती हो अपनी मज􀈸 सेप्यार सेतुम अपना सब कुछ मुझेसौंप
देना चाहोगी या िफर उस 45 साल के अपनेखडूश और ठरकी बाप सेअपनी चूत और
गांड की सील तुड़वाना चाहती हो … बोलो ?"
"मेरी समझ में तो कुछ नहींआ रहा है ?"
"अच्छा एक बात बताओ ?"
"क्या ?"
"क्या तुम शादी के बाद नहींचुदवाओगी ? या सारी उॆ अपनी चूत नहींमरवाओगी
?"
"नहींपर येसब तो शादी के बाद की बात होती है ?"
"अरेमेरी भोली बहना ! येतो खाली लाइसेंस लेनेवाली बात है। शादी िववाह तो
चुदाई जैसेमहान काम को शुरू करनेका उत्सव है। असल में शादी का मतलब तो
बस चुदाई ही होता है !"
"पर मैंनेसुना हैिक पहली बार में बहुत ददर् होता हैऔर खनू भी िनकलता है ? "
"अरेतुम उसकी िचंता मत करो ! मैं बड़ेआराम सेकरूँगा ! देखना तुम्हें बड़ा मज़ा
आएगा !"
"पर तुम गांड तो नहींमारोगेना ? पापा की तरह ?"
"अरेमेरी जान पहलेचूत तो मरवा लो ! गांड का बाद में सोचेंगे !" और मैंनेिफर उसे
बाहों में भर िलया।
उसनेभी मेरेहोंठों को अपनेमुंह में भर िलया। वह क्या मुलायम होंठ थे, जैसेसंतरे
की नमर् नाज़कु फांकें हों। िकतनी ही देर हम आपस में गथंु ेएक दसू रेको चूमतेरहे।
अब मैंनेअपना हाथ उसकी चूत पर िफराना चालूकर िदया। उसनेभी मेरेलंड को
कस कर हाथ में पकड़ िलया और सहलानेलगी। लंड महाराज तो ठुमके ही लगाने
लगे। मैंनेजब उसके उरोज दबायेतो उसके मुंह सेसीत्कार िनकालनेलगी।
"ओहÉ। भाई कुछ करो ना ? पता नहींमुझेकुछ हो रहा है !"
उ􀆣ेजना के मारेउसका शरीर कांपनेलगा था साँसें तेज होनेलगी थी। इस नए
अहसास और रोमांच सेउसके शरीर के रोएँखड़ेहो गए थे। उसनेकस कर मुझे
अपनी बाहों में जकड़ िलया।
अब देर करना ठीक नहींथा। मैंनेउसकी ःकटर् और टॉप उतार िदए। उसनेॄा तो
पहनी ही नहींथी। छोटेछोटेदो अमरुद मेरी आँखों के सामनेथे। गोरेरंग के दो रस
कूप िजनका एरोला कोई एक रुपयेके िसक्के िजतना और िनप्पल्स तो कोई मूंग के
दानेिजतनेिबलकुल गुलाबी रंग के। मैंनेतड़ सेएक चुम्बन उसके उरोज पर ले
िलया। अब मेरा ध्यान उसकी पतली कमर और गहरी नािभ पर गया।
जैसेही मैंनेअपना हाथ उसकी पेंटी की ओर बढ़ाया तो उसनेमेरा हाथ पकड़तेहुए
कहा,"भाई तुम भी तो अपनेकपड़ेउतारो ना ?"
"ओहÉ हाँ ?"
मैंनेएक ही झटके में अपना नाईट सूट उतार फें का। मैंनेचड्डी और बिनयान तो
पहनी ही नहींथी। मेरा 7 इंच का लंड 120 िडमी पर खड़ा था। लोहेकी रॉड की तरह
िबलकुल सख्त। उस पर ूी-कम की बूँद चाँद की रोशनी में ऐसेचमक रही थी जैसे
शबनम की बूँद हो या कोई मोती।
"किनका इसेप्यार करो ना ?"
"कैसे ? "
"अरेबाबा इतना भी नहींजानती? इसेमुंह में लेकर चूसो ना ?"
"मुझेशमर् आती है ?"
मैं तो िदलो जान सेइस अदा पर िफ़दा ही हो गया। उसनेअपनी िनगाहें झुका ली पर
मैंनेदेखा था िक कनिखयों सेवो अभी भी मेरेत􀆯 लंड को ही देखेजा रही थी िबना
पलकें झपकाए।
मैंनेकहा,"चलो, मैं तुम्हारी बुर को पहलेप्यार कर देता हूँिफर तुम इसेप्यार कर
लेना ?"
"ठीक है !" भला अब वो मना कैसेकर सकती थी।
और िफर मैंनेधीरेसेउसकी पेंटी को नीचेिखसकाया :
गहरी नािभ के नीचेहल्का सा उभरा हुआ पेडूऔर उसके नीचेरेशम सेमुलायम छोटे
छोटेबाल नजर आनेलगे। मेरेिदल की धड़कनेबढ़नेलगी। मेरा लंड तो सलामी ही
बजानेलगा। एक बार तो मुझेलगा िक मैं िबना कुछ िकये-धरेही झड़ जाऊँगा।
उसकी चूत की फांकें तो कमाल की थी। मोटी मोटी संतरेकी फांकों की तरह। गुलाबी
चट्ट। दोनों आपस में िचपकी हुई। मैंनेपेंटी को िनकाल फें का। जसै ेही मैंनेउसकी
जाँघों पर हाथ िफराया तो वो सीत्कार करनेलगी और अपनी जांघें कस कर भींच ली।
मैं जानता था िक यह उ􀆣ेजना और रोमांच के कारण है। मैंनेधीरेसेअपनी अंगुली
उसकी बुर की फांकों पर िफराई। वो तो मःत ही हो गई। मैंनेअपनी अंगुली ऊपर से
नीचेऔर िफर नीचेसेऊपर िफराई। 3-4 बार ऐसा करनेसेउसकी जांघें अपनेआप
चौड़ी होती चली गई। अब मैंनेअपनेदोनों हाथों सेउसकी बुर की दोनों फांकों को
चौड़ा िकया। एक हलकी सी पुट की आवाज के साथ उसकी चूत की फांकें खुल गई।
आह. अन्दर सेिबलकुल लाल चुटर्। जैसेिकसी पके तरबूज की िगरी हो। मैं अपने
आप को कैसेरोक पाता। मैंनेअपनेजलतेहोंठ उन पर रख िदए। आह … नमकीन
सा नािरयल पानी सा खट्टा सा ःवाद मेरी जबान पर लगा और मेरी नाक में जवान
िजःम की एक मादक महक भर गई। मैंनेअपनी जीभ को थोड़ा सा नुकीला बनाया
और उसके छोटेसेटींट (मदनमिण) पर िटका िदया। उसकी तो एक िकलकारी ही
िनकल गई। अब मैंनेऊपर सेनीचेऔर नीचेसेऊपर जीभ िफरानी चालूकर दी।
उसनेकस कर मेरेिसर के बालों को पकड़ िलया। वो तो सीत्कार पर सीत्कार िकये
जा रही थी।
बुर के छेद के नीचेउसकी गांड का सुनहरा छेद उसके कामरज सेपहलेसेही गीला हो
चुका था। अब तो वो भी खुलनेऔर बंद होनेलगा था। किनका आंह … उन्ह … कर
रही थी। ऊईई … मा..आÉ एक मीठी सी सीत्कार िनकल ही गई उसके मुंह से।
अब मैंनेउसकी बुर को पूरा मुंह में लेिलया और जोर की चुःकी लगाई। अभी तो मुझे
2 िमनट भी नहींहुए होंगेिक उसका शरीर अकड़नेलगा और उसनेअपनेपैर ऊपर
करके मेरी गदर्न के िगदर् लपेट िलए और मेरेबालों को कस कर पकड़ िलया। इतनेमें
ही उसकी चूत सेकाम रस की कोई 4-5 बूँदें िनकल कर मेरेमुंह में समांगई। आह
क्या रसीला ःवाद था। मैंनेतो इस रस को पहली बार चखा था। मैं उसेपूरा का पूरा
पी गया।
अब उसकी पकड़ कुछ ढीली हो गई थी। पैर अपनेआप नीचेआ गए। 2-3 चुिःकयां
लेनेके बाद मैंनेउसके एक उरोज को मुंह में लेिलया और चूसना चालूकर िदया।
शायद उसेइन उरोजों को चुसवाना अच्छा नहींलगा था। उसनेमेरा िसर एक और
धकेला और झट सेमेरेखड़ेलंड को अपनेमुंह में लेिलया। मैं तो कब सेयही चाह
रहा था। उसनेपहलेसुपाड़ेपर आई ूी कम की बूँदें चाटी और िफर सुपाड़ेको मुंह में
भर कर चूसनेलगी जैसेकोई रस भरी कुल्फी हो।
आह … आज िकसी नेपहली बार मेरेलंड को ढंग सेमुंह में िलया था। किनका नेतो
कमाल ही कर िदया। उसनेमेरा लंड पूरा मुंह में भरनेकी कोिशश की पर भला सात
इंच लम्बा लंड उसके छोटेसेमुंह में पूरा कैसेजाता।
मैं िच􀆣 लेटा था और वो उकडूसी हुई मेरेलंड को चूसेजा रही थी। मेरी नजर उसकी
चूत की फांकों पर दौड़ गई। हलके हलके बालों सेलदी चूत तो कमाल की थी। मैंने
कई 􀃞लूिफल्मों में देखा था की चूत के अन्दर के होंठों की फांके 1.5 या 2 इंच तक
लम्बी होती हैं पर किनका की तो बस छोटी छोटी सी थी। िबलकुल लाल और गुलाबी
रंगत िलए। मामी की तो िबलकुल काली काली थी। पता नहींमामा उन काली काली
फांकों को कैसेचूसतेहैं।
मैंनेकिनका की चूत पर हाथ िफराना चालूकर िदया। वो तो मःत हुई मेरेलंड को
िबना रुके चूसेजा रही थी। मुझेलगा अगर जल्दी ही मैंनेउसेमना नहींिकया तो
मेरा पानी उसके मुंह में ही िनकल जाएगा और मैं आज की रात िबना चूत मारेही रह
जाऊँगा। मैं ऐसा हरिगज नहींचाहता था।
मैंनेउसकी चूत में अपनी अगं लु ी जोर सेडाल दी। वो थोड़ी सी िचहुंकी और मेरेलंड
को छोड़ कर एक और लुढ़क गई।
वो िच􀆣 लेट गई थी। अब मैं उसके ऊपर आ गया और उसके होंठों को चूमनेलगा।
एक हाथ सेउसके उरोज मसलनेचालूकर िदए और एक हाथ सेउसकी चूत की
फांकों को मसलनेलगा। उसनेभी मेरेलंड को मसलना चालूकर िदया। अब लोहा
पूरी तरह गमर् हो चुका था और हथोड़ा मारनेका समय आ गया था। मैंनेअपने
उफनतेहुए लंड को उसकी चूत के मुहानेपर रख िदया। अब मैंनेउसेअपनेबाहों में
जकड़ िलया और उसके गाल चूमनेलगा। एक हाथ सेउसकी कमर पकड़ ली। इतने
में मेरेलंड नेएक ठुमका लगाया और वो िफसल कर ऊपर िखसक गया।
किनका की हंसी िनकल गई।
मैंनेदबु ारा अपनेलंड को उसकी चूत पर सेट िकया और उसके कमर पकड़ कर एक
जोर का धक्का लगा िदया। मेरा लंड उसके थूक सेपूरा गीला हो चुका था और िपछले
आधेघंटेसेउसकी चूत नेभी बेतहाशा कामरज बहाया था। मेरा आधा लंड उसकी
कंुवारी चूत की सील को तोड़ता हुआ अन्दर घुस गया।
इसके साथ ही किनका की एक चीख हवा में गूंज गई। मैंनेझट सेउसका मुंह दबा
िदया नहींतो उसकी चीख नीचेतक चली जाती।
कोई 2-3 िमनट तक हम िबना कोई हरकत िकयेऐसेही पड़ेरहे। वो नीचेपड़ी
कुनमुना रही थी। अपनेहाथ पैर पटक रही थी पर मैंनेउसकी कमर पकड़ रखी थी
इस िलए मेरा लंड बाहर िनकालनेका तो सवाल ही पैदा नहींहोता था। मुझेभी अपने
लंड के सुपाड़ेके नीचेजहांधागा होता हैजलन सी महसूस हुई। येतो मुझेबाद में
पता चला िक उसकी चूत की सील के साथ मेरेलंड की भी सील (धागा) टूट गई है।
चलो अच्छा हैअब आगेका राःता दोनों के िलए ही साफ़ हो गया है। हम दोनों को ही
ददर् हो रहा था। पर इस नए ःवाद के आगेयेददर् भला क्या मानेरखता था।
"ओह … भाई मैं तो मर गई रे …." किनका के मुंह सेिनकला "ओह … बाहर
िनकालो मैं मर जाउंगी !"
"अरेमेरी बहना रानी ! बस अब जो होना था हो गया है। अब ददर् नहींबस मजा ही
मजा आएगा। तुम डरो नहींयेददर् तो बस 2-3 िमनट का और हैउसके बाद तो बस
जन्नत का ही मजा है !"
"ओह. नहींप्लीज. बाहरÉ िनका … लो … ओह... या... आÉ. उन्ह … याÉ"
मैं जानता था उसका ददर् अब कम होनेलगा हैऔर उसेभी मजा आनेलगा है। मैंने
हौलेसेएक धक्का लगाया तो उसनेभी अपनी चूत को अन्दर सेिसकोड़ा। मेरा लंड
तो िनहाल ही हो गया जैसे। अब तो हालत यह थी िक किनका नीचेसेधक्के लगा
रही थी। अब तो मेरा लंड उसकी चूत में िबना िकसी रुकावट अन्दर बाहर हो रहा था।
उसके कामरज और सील टूटनेसेिनकलेखनू सेसना मेरा लंड तो लाल और गलु ाबी
सा हो गया था।
"उईई . मा .. आह .. मजा आ रहा हैभाई तेज करो ना .. आह ओर तेज या ..."
किनका मःत हुई बड़बड़ा रही थी।
अब उसनेअपनेपैर ऊपर उठा कर मेरी कमर के िगदर् लपेट िलए थे। मैंनेभी उसका
िसर अपनेहाथों में पकड़ कर अपनेसीनेसेलगा िलया और धीरेधीरेधक्के लगाने
लगा। जैसेही मैं ऊपर उठता तो वो भी मेरेसाथ ही थोड़ी सी ऊपर हो जाती और जब
हम दोनों नीचेआतेतो पहलेउसके िनतम्ब ग􀆧ेपर िटकतेऔर िफर गच्च सेमेरा
लंड उसकी चूत की गहराई में समांजाता। वो तो मःत हुई आह उईई माँ. ही करती
जा रही थी। एक बार उसका शरीर िफर अकड़ा और उसकी चूत नेिफर पानी छोड़
िदया। वो झड़ गई थी। आह ……। एक ठंडी सी आनंद की सीत्कार उसके मुंह से
िनकली तो लगा िक वो पूरी तरह मःत और संतु􀆴 हो गई है।
मैंनेअपनेधक्के लगानेचालूरखे। हमारी इस चुदाई को कोई 20 िमिनट तो जरूर हो
ही गए थे। अब मुझेलगानेलगा िक मेरा लावा फूटनेवाला है।
मैंनेकिनका सेकहा तो वो बोली,"कोई बात नहीं, अन्दर ही डाल दो अपना पानी ! मैं
भी आज इस अमृत को अपनी कंुवारी चूत में लेकर िनहाल होना चाहती हूँ !"
मैंनेअपनेधक्कों की रझतार बढ़ा दी और िफर गमर् गाढ़ेरस की ना जानेिकतनी
िपचकािरयाँिनकलती चली गई और उसकी चूत को लबा लब भरती चली गई। उसने
मुझेकस कर पकड़ िलया। जैसेवो उस अमृत का एक भी कतरा इधर उधर नहींजाने
देना चाहती थी। मैं झड़नेके बाद भी उसके ऊपर ही लेटा रहा।
मैंनेकहींपढ़ा था िक आदमी को झड़नेके बाद 3-4 िमनट अपना लंड चूत में ही डाले
रखना चािहए इस सेउसके लंड को िफर सेनई ताकत िमल जाती है। और चूत में भी
ददर् और सूजन नहींआती।
थोड़ी देर बाद हम उठ कर बैठ गए। मैंनेकिनका सेपूछा,"कैसी लगी पहली चुदाई
मेरी जान ?"
"ओह बहुत ही मजेदार थी मेरेभैया ?"
"अब भैया नहींसैंया कहो मेरी जान ! "
"हाँहाँमेरेसैंया ! मेरेसाजन ! मैं तो कब की इस अमृत की प्यासी थी। बस तुमनेही
देर कर रखी थी !"
"क्या मतलब ?"
"ओह. तुम भी िकतनेलल्लूहो। तुम क्या सोचतेहो मुझेकुछ नहींपता ?"
"क्या मतलब ? "
"मुझेसब पता हैतुम मुझेनहातेहुए और मूततेहुए चुपके चुपके देखा करतेहो और
मेरा नाम लेलेकर मुट्ठ भी मारतेहो ?"
"ओह … तुम भी ना … एक नंबर की चु􀆧कड़ हो ?"
"क्यों ना बनूँआिखर खानदान का असर मुझ पर भी आएगा ही ना ?" और उसने
मेरी और आखँ मार दी। और िफर आगेबोली "पर तुम्हें क्या हुआ मेरेभैया ?"
"चुप साली अब भी भैया बोलती है ! अब तो मैं िदन में ही तुम्हारा भैया रहूँगा रात में
तो मैं तुम्हारा सैंया और तुम मेरी सजनी बनोगी !" और िफर मैंनेएक बार उसे
अपनी बाहों में भर िलया। उसेभला क्या ऐतराज हो सकता था।
बस यही कहानी हैतरुण की। यह कहानी आपको कैसी लगी मुझेजरुर बताएं।
आपका ूेम गुरु

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